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भूमिका एवं जिम्मेदारी :

आठवीं कक्षा उत्तीर्ण प्रायः सभी बालिकाएं विभिन्न कारणों  से माध्यमिक स्तर की शिक्षा से नहीं जुड़ पाती हैं । इससे माध्यमिक स्तर पर बालिकाओं का एक हिस्सा स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के अवसर से वंचित रह जाता है, जिससे ग्रामीण परिक्षेत्र की बालिकाओं के विवाह अर्थात बाल विवाह होने की संभावनाएं अधिकाधिक (प्रबल ) हो जाती हैं, जो सामाजिक ,पारिवारिक आर्थिक ,मानसिक ,शारीरिक चुनौती को जन्म देती हैं । अतः यह आवश्यक है कि विद्यालय (साथी) शिक्षक, किशोर- किशोरियों, पंचायत प्रतिनिधि, अभिभावक एवं समुदाय मिलकर बालिकाओं के ठहराव पर सहज एवं संवेदनशील वातावरण निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करें ।

राष्ट्रीय स्कूल शिक्षा परिषद के अंतर्गत प्रत्येक विद्यालय को माध्यमिक स्तर पर  बालिका शिक्षा के लिए निम्नलिखित परिणाम प्राप्त करना आवश्यक है :
     1. विद्यालय परिक्षेत्र की कक्षा 8 उत्तीर्ण समस्त छात्रों का शत-प्रतिशत कक्षा 9 में प्रवेश सुनिश्चित करना
     2. कक्षा 9 से 12 में समस्त बालिकाओं की शत-प्रतिशत सत्र पर्यंत उपस्थिति हो
     3. विद्यालय को (वातावरण) बालिकाओं के प्रति संवेदनशील, सहज बनाने हेतु  सुविधाओं एवं नियमों की पालना
     4. विद्यालय में बालिकाओं को सुरक्षित व सहज वातावरण प्रदान करना एवं अधिकारों के प्रति जागरूक करना
     5. कक्षा 9 में नामांकित समस्त बालिकाओं के 4 वर्षीय माध्यमिक शिक्षा पूरी करना

समस्त विद्यालय उक्त उद्देश्यों  को प्राप्त कर पाए, इस हेतु बालिकाओं के साथ संवाद और उनकी सहभागिता सुनिश्चित करेंगे। इसी आवश्यकता को पूरी करने और बालिका शिक्षा को पियर सपोर्ट के माध्यम से प्रोत्साहित करने के लिए गार्गी मंच का गठन किया जाए । सभी विद्यालय कक्षा 9 से 12 तक की बालिकाओं और बालकों को नियमानुसार जोड़कर गार्गी मंच का गठन कर इसका संचालन करेंगे और बालिका शिक्षा संबंधी गतिविधियों में गार्गी मंच को सम्मिलित  करेंगे । गार्गी मंच स्थायी मंच होगा जो प्रत्येक वर्ष पुनर्गठितकिया जाएगा। बाल अधिकार एवं बालिका शिक्षा हेतु वर्ष भर विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से मंच को सक्रिय रखा जाए। गार्गी मंच की सक्रियता की जिम्मेदारी संस्था प्रधान एवं समस्त शिक्षकों पर संयुक्त रूप से होगी ।
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कौन है गार्गी ?

माध्यमिक स्तर पर गार्गी वह बालिका है, जो मीना की भांति अपनी शिक्षा एवं सहपाठियो की स्कूली शिक्षा पूरी करने हेतु प्रयासशील है । वह समस्या समाधान हेतु तत्पर रहती हैं एवं किसी से बातचीत करने और सहायता मांगने में हिचकिचाती नहीं है, परिवार की कुप्रथा अंधविश्वास एवं सामाजिक बुराइयों का विरोध करती हैं तथा स्कूल परिवार एवं समाज में अपना गरिमा पूर्ण स्थान बनाने हेतु प्रयासरत हैं.

कैसा हो हमारा गार्गी मंच ?

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समस्त माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में गार्गी मंच गठन निम्नानुसार किया जाएगा :

  • गार्गी मंच 23 सदस्यों का एक समूह होगा जो कि मंच की गतिविधियों का संचालन करेगा उक्त 23 सदस्यों में से 15 सदस्य बालिकाएं होगी और 8 सदस्य बालक होंगे। जहाँ केवल बालिका विद्यालय हैं, वहां इसके सभी सदस्य किशोरियां हो सकेंगी. मंच की संख्या को कम या ज्यादा करना सुगमकर्ता का विवेक है. 

  • उच्च माध्यमिक विद्यालय में गार्गी मंच के लिए कक्षा 8 से 12 की प्रत्येक कक्षा की 3 छात्राएं कुल 15 बालिकाएं चयन की जाएगी जो कि प्रत्येक कक्षा हेतु शाला सखी कहलाएगी। शेष 8 छात्र सदस्य कक्षा 9 से 12 में प्रत्येक कक्षा से दो_दो होंगे जो कि गार्गी मंच के शाला सखा के रूप में जाने जाएंगे। इन सदस्यों ( शाला सखी व शाला सखा )का चयन कक्षा के समस्त छात्र- छात्राओं द्वारा किया जाएगा कक्षा में समन्वय ,निर्णय लेने एवं कार्यों के निर्वहन हेतु इनमें से प्रत्येक सदस्य 2  माह हेतु समन्वयक का कार्य करेगा.

चूँकि गार्गी मंच बालिकाओं को विचार अभिव्यक्त करने और समस्याओं का सामूहिक समाधान ढूंढने के अवसर प्रदान करना है अतः सैद्धांतिक रूप से विद्यालय की समस्त छात्राएं इसकी सदस्य होंगी और मंच की समस्त गतिविधियों में सम्मिलित की जाएगी.

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अगर मेरा स्कूल बारहवीं तक है तो ?

  • हर एक कक्षा और वर्ग (सेक्शन) से कम से कम 3 किशोरियां और 2 किशोर इसके सदस्य होंगे. आप किसी कक्षा में किशोर- किशोरियों का अनुपात देखकर भी इसके सदस्य बना सकते हैं.

  • किन्तु हाँ, आपको कक्षा 8 की 3 किशोरियों को इसका सदस्य ज़रूर बनाएं. अगर आपके स्कूल में आठवीं कक्षा नहीं है, तो सीप के उच्च प्राथमिक स्कूल की छात्राएं इसकी सदस्य बन सकेंगी और बैठक वाले दिन अपनी स्कूल की महिला अध्यापिका (मीना मंच की सुगमकर्ता) के साथ इस बैठक में आएँगी.

  • अगर आपका स्कूल केवल बालिकाओं का स्कूल है तो इसकी सभी सदस्य केवल बालिकाएं होगीं. उक्त 23 सदस्यीय गार्गी मंच में कक्षा 8 की छात्रा इस उद्देश्य से रखी गई है कि कक्षा 8 के बाद संभावित ड्रॉपआउट को रोकने हेतु कक्षा 8 की बालिकाओं को संवाद में शामिल किया जा सके.

  • आस पास के सभी उच्च प्राथमिक स्कूलों की बालिकाएं भी इसकी नामित सदस्य हो सकेंगी.

  • आस पास की वे किशोरियां, जो स्कूल ड्राप आउट है या स्कूल नहीं जाती, वे भी गार्गी मंच की नामित सदस्य हो सकेंगी.

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अगर मेरा स्कूल दसवीं तक है तो ?

  • तब हर एक कक्षा और सेक्शन से 5 किशोरियां और 3 किशोर इसके सदस्य हो सकेंगे. आप किसी कक्षा में किशोर- किशोरियों का अनुपात देखकर भी इसके सदस्य बना सकते हैं.

  • किन्तु हाँ, आपको कक्षा 8 की 5 किशोरियों को इसका सदस्य ज़रूर बनाएं. अगर आपके स्कूल में आठवीं कक्षा नहीं है, तो सीप के उच्च प्राथमिक स्कूल की छात्राएं इसकी सदस्य बन सकेंगी और बैठक वाले दिन अपनी स्कूल की महिला अध्यापिका (मीना मंच की सुगमकर्ता) के साथ इस बैठक में आएँगी.

  • अगर आपका स्कूल केवल बालिकाओं का स्कूल है तो इसकी सभी सदस्य केवल बालिकाएं होगीं. उक्त 23 सदस्यीय गार्गी मंच में कक्षा 8 की छात्रा इस उद्देश्य से रखी गई है कि कक्षा 8 के बाद संभावित ड्रॉपआउट को रोकने हेतु कक्षा 8 की बालिकाओं को संवाद में शामिल किया जा सके.

  • आस पास के सभी उच्च प्राथमिक स्कूलों की बालिकाएं भी इसकी नामित सदस्य हो सकेंगी.

  • आस पास की वे किशोरियां, जो स्कूल ड्राप आउट है या स्कूल नहीं जाती, वे भी गार्गी मंच की नामित सदस्य हो सकेंगी.

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यह संख्या छात्र- छात्राओं  के अनुपात में घटाई बढाई जा सकती है. किन्तु हाँ, एक गार्गी मंच में न्यूनतम 18 सदस्य ज़रूर होने चाहिए और अधिकतम संख्या 30-35 से अधिक नहीं हो. 

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कौन होगा अध्यक्ष- उपाध्यक्ष ?

23 सदस्यीय गार्गी मंच का स्कूल में नेतृत्व करने के लिए अपना अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चुनाव करेगी. चुनाव का माध्यम इसलिए चुना गया है, जिससे छात्रों में लोकतंत्र के मूल्यों की भी समझ बढे। ध्यान दें गार्गी मंच का अध्यक्ष छात्रा ही होगी जबकि उपाध्यक्ष छात्र अथवा छात्रा में से कोई भी हो सकेगा।

कौन करेंगे हमारी मदद ?

आपके गार्गी मंच के सत्रों के संचालन और बैठकें आयोजित करने में स्कूल के संस्था प्रधान और सुगमकर्ता आपकी सहायता करेंगे. सुगमकर्ता हमेशा एक महिला अध्यापिका ही होंगी. अगर स्कूल में महिला अध्यापिका नहीं है तो पुरुष अध्यापक भी सुगमकर्ता हो सकते हैं.

सुगमकर्ता हमारे ही स्कूल की शिक्षिका या शिक्षक है, जो बच्चों के रुचि और गाइडलाइन के अनुसार गतिविधियों का आयोजन कर बच्चों को सहज करने का प्रयास करते है. सुगमकर्ता गार्गीमंच की प्रमुख है, जो :

  • स्कूल प्रबंधन क़े साथ मिलकर गार्गीमंच का गठन तथा प्रेरकों का चयन करते है

  • जो बच्चों के साथ गतिविधियाँ करने में सहज मह्सूस करे

  • जो प्रशिक्षणों और कार्यशालाओं मे भागीदारी के लिये तैयार हो

  • जो बच्चों को सहभागिता के लिये प्रेरित करे और उनका होंसला बढ़ाये

  • बच्चों की सहज जिज्ञासा और भावनाओं को समझ सके

  • जो बेहतर परामर्शदाता हो 

सुगमकर्ता  कौन ?

सामाजिक बदलाव में हमारी भूमिका :

गार्गी मंच किशोरी बालिकाओं में आत्मविश्वास को बढ़ाने, अपनी समझ से विचारों को अभिव्यक्त करने, अपने विद्यालय में सहभागिता सुनिश्चित करना एवं समग्र रूप से जीवन कौशल का विकास करने का माध्यम है.

 

घर की मंच बालिकाओं के नामांकन एवं ठहराव सक्रिय रहेगा जिससे बालिकाएं अपनी प्रारंभिक शिक्षा पश्चात 4 साल की माध्यमिक शिक्षा को पूरी करें और आगे आत्मनिर्भर बन सकें इस हेतु बालिकाएं :

  • नामांकन एवं ठहराव को प्रभावित करने वाले सामाजिक मानसिक भावनात्मक एवं जेंडर पूर्वाग्रहों पर चर्चा करेंगी

  • विद्यालय वातावरण को बालिकाओं हेतु सुरक्षित बनाने के लिए खुली चर्चा करेंगी

  • माध्यमिक शिक्षा पूरी करने उच्च शिक्षा जारी रखने और विकास के विकल्पों एवं रोजगार परक विषयों पर चर्चा करेगी

  • समाज में नारी की प्रमुख भूमिका, दायित्व व कर्तव्य के संदर्भ में समझ विकसित करेंगी

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